समतायुक्त , ममतामय ,परस्पर स्वावलंबी व परस्पर पूरक हो और जिसमें
ग़रीबों व किसानों के चेहरे पैर लाली , खेतों में हरियाली
और आँगन में ख़ुशिहाली हो ,मेरे सपनों का भारत होगा 1
पवन कुमार अरविंद
उम्र- 26 वर्ष
न बेरोजगारी का जाल होगा, न विदर्भ जैसा हाल होगा
तारीखों की जगह न्याय हर बार होगा
सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा का प्रसार होगा
हर खेल में अव्वल होगा
बिजली, सड़कें, पानी हर ओर होगा
स्त्री शिक्षा पर जोर होगा, अपनी सभ्यता का डंका हर ओर होगा
बाल मजदूरी और शराब पर पहरा होगा
हर तरफ खुशहाली का चेहरा होगा
दहेज, बलात्कार न कत्ल होगा, रोटी, कपडा और मकान होगा
सांप्रदायिकता और बैर न होगा, पांखड़ और द्वेष न होगा
हर तरफ कशमीर जैसा स्वर्ग होगा, निठारी जैसा नरक न होगा
संसद में सिर्फ काम होगा, मंहगाई का नाम न होगा
आंतकवाद का खौफ न होगा, भ्रष्टाचार का रौब न होगा
ईद, दिवाली, क्रिसमस और दशहरा दिन रात होगा
दुनिया में खुशहाली की कहावत होगा
ऐसा मेरा सपनों का भारत होगा
प्रदीप सिंह रावत
३२-ई, आराम बाग, पहाड़गंज
2 comments:
आपका यह बदलते भारत का दर्सन कराने और उसकी दिशा को सदा प्रगति की तरफ बनाये रखने में सहायक होगा।
कांसेप्ट बहुत पसन्द आया। इसे जारी रखें और अच्छे-अच्छे लेख पढ़वायें।
जो सपना आप देख रहे हैं, यह करोणों भारतवासियों का सपना है। हमारी यही प्रार्थना है कि आपका, हमारा हम सब भारतीयों का यह सपना साकार हो।
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