Tuesday, October 9, 2007

आपके सपने, आपकी बात

कभी अपने भारत को दुनिया खारिज कर देती थी, लेकिन आज तस्वीर बदल चुकी है। सेवा क्षेत्र में हमारा कोई मुकाबला नहीं कर सकता है। आज हिन्दुस्तानियों का सम्मान पूरी दुनिया करती है। फाइनेंस, टेक्नोलॉजी, मेडिसिन और ज्ञान में हमारी कोई सानी नहीं है। आज भारतीय अमेरिकी पेशकशों को लात मारकर फिर अपनी मातृभूमि की ओर वापस आ रहे हैं। भारत को अभी और दूर, बहुत दूर जाना है। उसे तो दुनिया का नेतृत्व करना है। मैं तो उदय कोटक जी की इस बात से पूरी तरह सहमत हूं कि इसके लिए हमें चीन से सीख लेनी होगी। उनका कहना बिलकुल सही है कि जब चीन के टॉप तीन बैंक पिछले चंद बरसों में दुनिया के टॉप १0 बैंकों की लिस्ट में शामिल हो सकते हैं तो अपने बैंक क्यों नहीं? हम दुनिया को हैरत में डालते आए हैं और आगे डालते रहेंगे।

मोहन शर्मा, बनारस




आज का भारत असंख्य अवसरों वाला देश है। हमें अब खुद पर यकीन होने लगा है। दुनिया दम साधकर बैठी है और हमारी उपलब्धियों का लोहा मान रही है। हमारी अर्थव्यवस्था पहले ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है। आज हम खरबों डॉलर वाली बाजार पूंजी वाली ताकत बन चुके हैं। पिछले पांच बरसों में, हमने अरबों डॉलर की पूंजी वाली कंपनियों की रिकॉर्ड फसल पैदा की है। पिछले चार वर्षो में, हमने लाखों की तादाद में नई नौकरियों को मुहैया कराया है। फिर भी आनन्द महिं्रा की यह बात सच है कि हमारे समाने कई समास्याएं हैं, जैसे भूख, गरीबी, अशिक्षा और धार्मिक उन्माद। तमाम कामयाबियों के बावजूद, भारत की एक तिहाई आबादी कुपोषित, अशिक्षित और बीमारियों के शिकार हैं। हमें अगर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ना है तो इन्हें मात देनी ही पड़ेगी।

सुरें्र ङा, पटना




मेरे सपनों के भारत में प्रतिस्पर्धा खुली और स्वास्थ्य होगी। कारोबार को किसी प्रकार की कैद में नहीं रखा जाएगा। नए और लुभावने क्षेत्रों में लोगों को उतरने से रोकने के लिए नियम-कानूनों कैद नहीं होगी। हमने सारी दुनिया की निगाहें अपनी ओर करने में कामयाबी इसलिए हासिल की है क्योंकि हमारे पास उद्योग जगत के क्षत्रपों की हैरतअंगेज तौर पर बढ़ती खेप है। साथ ही अपने देश को तमाम मुश्किलों से भी छुटकारा दिलाने की जरूरत है। साथ ही, हमें अपनी संस्कृति और मूल्यों का भी ध्यान रखना पड़ेगा क्योंकि बिना मूल्यों और उसूलों के आदमी की कोई हैसीयत नहीं होती। मुङाे इस बारे में ओबेराय जी का ख्वाब सबसे प्रभावी लगा।

नवीन वर्मा, कानपुर




मेरे नए भारत का ख्वाब तो बिना बुनियादी ढांचे में विकास के पूरा ही नहीं हो सकता है। भारत एक विशाल देश है। इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश की जरूरत कृषि, मैन्युफैक्चरिंग और सेवा जैसे तीन मूलभूत क्षेत्रों को विकास के अवसर मुहैया कराने के लिहाज से अहम है। श्रीधरन साहब ने सच ही कहा है कि इसीलिए हमें तेज रफ्तार और सुरक्षित ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम की जरूरत है। देश में ७0 फीसदी से यादा माल ढुलाई और यात्रियों का आना-जाना सड़कों के जरिए होता है। नेशनल हाइवे समेत नई सड़कें बनाने के लिए अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। लेकिन हमारे भ्रष्ट राजनेता इस महान इंसान की बात समङाने में नाकाम रहे हैं।

विनोद राजवंशी, दिल्ली

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